
रुद्राभिषेक भगवान शिव (रुद्र रूप) की एक विशेष और अत्यंत प्रभावशाली पूजा पद्धति है। इसमें वैदिक मंत्रों – विशेषकर ऋग्वेद, यजुर्वेद के श्री रुद्रम का पाठ करते हुए शिवलिंग पर विभिन्न पवित्र द्रव्यों से अभिषेक (स्नान) कराया जाता है।
🔱 रुद्राभिषेक क्या है?
रुद्राभिषेक भगवान शिव (रुद्र रूप) की एक विशेष और अत्यंत प्रभावशाली पूजा पद्धति है। इसमें वैदिक मंत्रों – विशेषकर ऋग्वेद, यजुर्वेद के श्री रुद्रम का पाठ करते हुए शिवलिंग पर विभिन्न पवित्र द्रव्यों से अभिषेक (स्नान) कराया जाता है।
यह अभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और माना जाता है कि इससे प्रकृति, शरीर, मन और आत्मा – चारों का शुद्धिकरण होता है।
🕉️ रुद्राभिषेक में क्या-क्या किया जाता है?
- संकल्प – पूजा करवाने वाले व्यक्ति का नाम, गोत्र, उद्देश्य आदि बताए जाते हैं।
- गणेश पूजन – पहले विघ्नहर्ता गणेश जी की आराधना की जाती है।
- रुद्र जप – "ॐ नमो भगवते रुद्राय" और "श्री रुद्रम" का पाठ किया जाता है।
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अभिषेक – निम्न द्रव्यों से शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता है:
अभिषेक द्रव्य लाभ जल (गंगा जल) शांति और शुद्धिकरण दूध मन की शांति शहद मीठे संबंध दही संतुलन और समृद्धि घी रोग मुक्ति और ऊर्जा चीनी/शक्कर सुख और मधुरता बेलपत्र शिव जी को प्रिय, मनोकामना पूर्ति भस्म/भभूति अहंकार का नाश, वैराग्य - आरती और प्रसाद वितरण।
✅ रुद्राभिषेक के लाभ
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ग्रह दोषों का निवारण
– विशेषकर राहु, केतु, शनि दोष या कालसर्प योग में अत्यंत लाभदायक। -
धन, करियर, और व्यापार में उन्नति
– रुकावटें हटती हैं और स्थिरता आती है। -
बीमारियों से मुक्ति
– विशेष रूप से मानसिक तनाव, रक्तचाप, और नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्याओं में राहत। -
पारिवारिक कलह और अशांति में सुधार
– घर का वातावरण शांतिपूर्ण बनता है। -
पितृ दोष से मुक्ति
– पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और कुल की उन्नति होती है। -
मोक्ष और आत्मिक शुद्धि
– साधक को ध्यान और आत्मिक उन्नति में सहायता मिलती है। -
मनोकामना पूर्ति
– विवाह, संतान, नौकरी या अन्य किसी भी व्यक्तिगत इच्छाओं की पूर्ति में सहायक।
📅 रुद्राभिषेक कब करें?
- सोमवार (विशेषकर श्रावण मास में)
- महाशिवरात्रि
- प्रदोष व्रत
- ग्रहण, अमावस्या, या जन्मदिन जैसे विशेष दिन
- जब जीवन में अचानक समस्याएँ, मानसिक बेचैनी या आर्थिक रुकावटें आने लगें।