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शनि शांति हवन एक विशेष वैदिक हवन विधि है, जो भगवान शनि (शनि देव) को प्रसन्न करने और उनके अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए किया जाता है। शनि को न्याय का देवता माना जाता है, जो कर्मों के अनुसार फल देते हैं।

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🪐 शनि शांति हवन क्या है?

शनि शांति हवन एक विशेष वैदिक हवन विधि है, जो भगवान शनि (शनि देव) को प्रसन्न करने और उनके अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए किया जाता है। शनि को न्याय का देवता माना जाता है, जो कर्मों के अनुसार फल देते हैं।

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़े साती, ढैया, शनि की महादशा/अंतर्दशा, या शनि दोष हो — और जीवन में बार-बार अड़चनें, मानसिक तनाव, धन हानि, रोग या कोर्ट-कचहरी के मामले आ रहे हों — तब शनि शांति हवन अत्यंत प्रभावशाली होता है।

🔥 शनि शांति हवन में क्या होता है?

  • शुभ मुहूर्त में संकल्प लिया जाता है — व्यक्ति का नाम, गोत्र, जन्म की जानकारी के साथ।
  • फिर शनि बीज मंत्र और शनि गायत्री मंत्र का जप किया जाता है:


ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

ॐ शं शनैश्चराय नमः।


  • अग्नि में तिल, सरसों, नीम की लकड़ी, काले वस्त्र, और शुद्ध घी आदि की आहुतियाँ दी जाती हैं।
  • साथ ही, नवग्रह शांति मंत्र भी उच्चारित होते हैं।

शनि शांति हवन के लाभ

  1. साढ़े साती और ढैया से राहत
    – जीवन में आ रही रुकावटें और संघर्ष कम होते हैं।
  2. कर्म दोष से मुक्ति
    – पिछले कर्मों के कारण मिल रहे कष्टों में शांति मिलती है।
  3. आर्थिक स्थिरता
    – बार-बार धन हानि या करियर में रुकावटें समाप्त होती हैं।
  4. मानसिक तनाव और भय से राहत
    – अवसाद, डर, अनिद्रा, और आत्मविश्वास की कमी में सुधार आता है।
  5. न्याय और कानूनी मामलों में सफलता
    – कोर्ट-कचहरी, मुकदमे आदि में सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना बढ़ती है।
  6. शनि देव की कृपा प्राप्त होती है
    – व्यक्ति को दीर्घायु, गंभीरता, अनुशासन और अध्यात्म की ओर प्रवृत्ति होती है।

📅 शनि शांति हवन कब करें?

  • शनिवार को, विशेष रूप से अमावस्या या शनि जयंती पर
  • जब साढ़े साती या शनि की दशा/अंतर्दशा चल रही हो
  • किसी विशेष कष्ट या बाधा से मुक्ति हेतु
  • जन्मकुंडली में शनि पीड़ा दे रहे हों