
केतु ग्रह
केतु एक छाया ग्रह है और राहु की तरह इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता। यह आत्मज्ञान, मोक्ष, वैराग्य, अध्यात्म, तंत्र विद्या, रहस्यवाद और गूढ़ विद्याओं का कारक होता है। यदि कुंडली में केतु पीड़ित हो या अशुभ स्थान पर हो, तो यह मानसिक अस्थिरता, भ्रम, अचानक हानि और शारीरिक रोगों का कारण बनता है।
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🪐 केतु ग्रह का ज्योतिषीय महत्व:
केतु एक छाया ग्रह है और राहु की तरह इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता। यह आत्मज्ञान, मोक्ष, वैराग्य, अध्यात्म, तंत्र विद्या, रहस्यवाद और गूढ़ विद्याओं का कारक होता है। यदि कुंडली में केतु पीड़ित हो या अशुभ स्थान पर हो, तो यह मानसिक अस्थिरता, भ्रम, अचानक हानि और शारीरिक रोगों का कारण बनता है।
📿 केतु ग्रह का जाप क्यों किया जाता है?
केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने और इसके शुभ फल प्राप्त करने के लिए इसका जाप किया जाता है। यह विशेष रूप से तब आवश्यक होता है जब:
- केतु की महादशा या अंतरदशा चल रही हो
- कुंडली में केतु 1, 5, 6, 8 या 12वें भाव में हो
- मानसिक भ्रम, अचानक नुकसान, असाध्य रोग या दुर्घटनाओं की संभावना हो
- आध्यात्मिक प्रगति में बाधा आ रही हो
🕉 केतु बीज मंत्र:
“ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः”
(इस मंत्र का 17,000 बार जाप करना शुभ माना गया है। आप इसे 108 बार प्रतिदिन भी कर सकते हैं।)
विशेष दिन: मंगलवार या केतु काल में जाप करना विशेष फलदायी होता है।
🌟 केतु जाप से होने वाले लाभ:
- भूत-प्रेत बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और मानसिक भ्रम से मुक्ति।
- अध्यात्म, ध्यान और मोक्ष की दिशा में उन्नति।
- रहस्यमयी और गूढ़ विद्याओं में प्रगति।
- शारीरिक रोग, त्वचा रोग और अनिद्रा जैसी समस्याओं से राहत।
- केतु दोष या कालसर्प दोष से राहत।
- आकस्मिक हानि या दुर्घटनाओं से सुरक्षा।
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हमारे अनुभवी आचार्य वैदिक विधि से केतु ग्रह के बीज मंत्र का जाप करते हैं। आप चाहें तो यह जाप अपने नाम से करवाकर प्रमाण-पत्र एवं वीडियो रिकॉर्डिंग भी प्राप्त कर सकते हैं।